महिलाओं में महामारी बन रहा है डिप्रेशन

महिलाओं में महामारी बन रहा है डिप्रेशन

डिप्रेशन या कहें अवसाद भारतीय महिलाओं में महामारी का रूप लेता जा रहा है। चिकित्‍सा विशेषज्ञों के मोटे अनुमान के अनुसार देश में हर पांच में से एक महिला डिप्रेशन के किसी न किसी रूप की शिकार है। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हर 12 में एक पुरुष इस रोग का शिकार होता है। जाहिर है कि महिलाएं इससे ज्‍यादा प्रभावित होती हैं।

क्‍यों होता है डिप्रेशन

कहा जाता है कि डिप्रेशन एक खास तरह के व्यक्तित्व की उपज होती है इसलिए सकारात्मक सोचो, सब ठीक हो जाएगा। लेकिन डिप्रेशन का ये कारण कतई नहीं है। सही बात यह है कि मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर नामक एक रसायन के स्राव में कमी हो जाने से डिप्रेशन की स्थिति पैदा होती है। यह बात शोध से भी सिद्ध हो चुकी है कि रसायन असंतुलन ही डिप्रेशन का मुख्य कारण होता है।

इलाज क्‍या है?

दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख का कहना है कि डिप्रेशन यानी अवसाद के इलाज में एलोपैथिक दवाओं का कोई विकल्प नहीं है। डिप्रेशन क्यों होता है, इस बारे में आम लोगों की गलत सोच के कारण इसके इलाज के मामले में अकसर गलती हो जाती है। आमतौर पर लोग इसे संबंधों में दरार, पारिवारिक झगड़े या गलत जीवनशैली का परिणाम मानते हैं जबकि ये सच्‍चाई से परे बात है। चूंकि यह रसायनिक असंतुलन का परिणाम है इसलिए दवाओं से इसका इलाज संभव है।

सिर्फ सकारात्‍मक सोच काफी नहीं

डॉक्‍टर पारिख कहते हैं कि इस बीमारी में सकारात्‍मक सोच जरूरी है मगर सिर्फ उसी से निदान नहीं हो सकता, इसके लिए दवाएं जरूरी होती हैं। ये दवाएं शरीर में रसायन की कमी को दूर कर बीमारी का इलाज करती हैं। डॉक्‍टर पारिख कहते हैं कि अगर कोई यह दावा करे कि योग या अन्‍य वैकल्पिक चिकित्‍सा पद्धतियों से इसका इलाज किया जा सकता है तो ऐसे दावों पर आंख मूंद कर  भरोसा न करें। डॉक्‍टर पारिख का दावा है कि उनके पास अन्‍य चिकित्‍सा पद्धतियों से हार मान चुके मरीज बड़ी संख्‍या में आते हैं।

जिंदगी भर नहीं खानी होती दवा

डिप्रेशन के एलोपैथी इलाज को लेकर कुछ भ्रांतियों को दूर किया जाना जरूरी है। आम सोच के उलट डिप्रेशन के लिए जीवनभर दवा खाने की जरूरत नहीं है। इसकी दवा कोई नशा नहीं है और न ही दवा की लत ही लगती है। दवा से ज्यादातर लोग एकदम ठीक हो जाते हैं और दवा बंद हो जाती है। वैसे कुछ मरीजों में सोचने के तरीके में सुधार के लिए व्यवहारजनित चिकित्सा भी करनी पड़ती है।

क्‍या कहते हैं योग के जानकार

देश के जाने माने योग गुरु सुनील सिंह का कहना है कि डिप्रेशन को दूर करने के मामले में एलोपैथी का दावा गलत है। हकीकत यह है कि योग के जरिये इसका प्रभावी इलाज किया जा सकता है। न्यूरोट्रांसमीटर के स्राव में कमी के मूल में जो कारण होते हैं योग द्वारा उसका इलाज किया जाता है। डिप्रेशन को दूर करने में शवासन और योगनिद्रा की चमत्कारिक भूमिका है। योग निद्रा की क्रिया अपने आप उपलब्ध समय के अनुसार सिलसिलेवार ढंग से करें। जल्दबाजी न मचाएं। इसका शरीर पर बेहद सकारात्मक असर होता है। इसके करने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मानसिक बीमारियों में फायदा होता है।

होम्योपैथी में भी इलाज का दावा

वरिष्‍ठ होम्‍योपैथ डॉक्‍टर आलोक रंजन का कहना है कि डिप्रेशन में मेडिटेशन और प्राणायाम के साथ दवाएं बहुत असरकारक होती हैं। यह कहना कि सिर्फ एलोपैथी में ही इसका इलाज है सही नहीं है। होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा कई मरीजों को सफलतापूर्वक ठीक किया गया है। यह जरूर है कि दवा के साथ हम मरीजों के लक्षण देखकर कुछ निश्चित प्राणायाम और ध्यान की क्रियाएं बताते हैं। संभव है, डिप्रेशन की एकदम सामान्य सी स्थिति में दवा की जरूरत न पड़े लेकिन अगर डिप्रेशन बार-बार हो, छोटी उम्र में हो या फिर आत्महत्या करने जैसे भाव आते हों तो दवा खाना एकदम जरूरी है। 

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